
छपरा


विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पैट 21 के कोर्सवर्क के शोधार्थियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है. ‘हिंदी में शोध- दशा एवं दिशा’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में पीएचडी कोर्सवर्क के शोधार्थीगण अगले 3 दिनों में विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के शिक्षकों से शोध संबंधी विभिन्न कौशलों पर समूह चर्चा के जरिए जानकारी हासिल करेंगे और जानकारी के आलोक में शोध कर्म से जुड़ी अपनी प्रस्तुति करेंगे . कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर अनीता ने कहा कि कोई भी शोध पूछे गए प्रश्नों की गुणवत्ता से मौलिक बनता है और गहरी सामाजिक दृष्टि से संपन्न होने से राष्ट्र के लिए उपयोगी होता है. उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में मानविकी संकायाध्यक्ष प्रोफेसर मोती ने शोधार्थियों को अंतरानुशासनिक शोध के महत्व और जरूरत पर विस्तार से संबोधित किया. अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर उदय शंकर ओझा ने शोधार्थियों से कहा कि शोधकर्म विषयवस्तु की पैरोकारी नहीं बल्कि विषयवस्तु की निरपेक्ष परीक्षा है और इसके लिए शोध दृष्टि का संतुलित होना जरूरी है . सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर वैद्यनाथ मिश्र ने शोधार्थियों को शोध के विविध प्रसंगों के प्रति संवेदनशील दृष्टि अपनाने को कहा. हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार ने कहा कि शोधार्थी का अध्ययन जितना विशाल होगा उसका शोधकर्म उतना ही सूक्ष्मग्राही होगा इसलिए अध्ययन की विशालता और मनन की मौलिकता अनिवार्य है. विभाग के नवागंतुक शिक्षक डॉ चंदन श्रीवास्तव ने हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हिंदी का शुभ दिन तब आएगा जब हिंदी में किए गए शोध ज्ञान राशि के रूप में अन्य अनुशासन में उद्धृत किए जाएंगे. सत्र का संचालन, धन्यवाद ज्ञापन तथा अतिथियों का स्वागत पैट २१ के शोधार्थियों ने किया.जिज्ञासु अध्येता समूह के बीच विजय कुमार, अभयतोष गिरी, मंजू भारती, रूबी भगत तथा अन्यान्य की भूमिका सराहनीय रही.


