
कुलपति प्रोफेसर फारूक अली ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने अपने ग्रन्थों में उपेक्षित महिलाओ के ऊपर अधिक ध्यान केंद्रित किया है ,चाहे वह यशोधरा हों,चाहे उर्मिला हों।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉक्टर रेणू सिंह पूर्व प्राचार्या ने रमेश झा महिला महाविद्यालय सहरसा ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में दद्दू के नाम से जाना जाता है।आज के लिए नवीन दृष्टि की आवश्यकता है।”नर हो निराश करो मन को” का भी उद्धरण मुख्य वक्ता ने दिया।भारत भारती ग्रन्थ मे कवि ने हम कौन थे,हम कौन हैं और हम क्या होंगे?इस पर बात किया।पंचवटी का उद्धरण “चारु चंद्र की चंचल किरणें “का उद्धरण भी दिया।
कुलसचिव डॉक्टर आर पी “बबलू” ने कहा कि साकेत महाकाव्य में मैथिलीशरण गुप्त ने उर्मिला के चरित्र का बहुत विस्तार से वर्णन किया। राम के साथ तो सीता थीं,भरत शत्रुघ्न के पास भी उनकी अर्धांगिनी थीं परंतु एक उर्मिला ही थीं जो 14बर्ष तक लगातार महलों में रहकर भी तपस्या कीं।
स्वागत भाषण हिन्दी की अध्यक्षा प्रो अनीता ने किया।मंच संचालन प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर अजय कुमार ने किया।इस अवसर पर प्रोफेसर सुधा बाला पूर्व डीन, प्रोफेसर हरिश्चंद्र समन्वयक महाविद्यालय विकास परिषद, श्री ए के पाठक वित्त परामर्शी, डॉक्टर सरफराज अहमद नोडल आफिसर, डॉक्टर धनंजय आजाद आइ टी सेल प्रभारी,डाक्टर नागेश्वर वत्स नोडल आफिसर कन्या उत्थान, इंजीनियर प्रमोद कुमार सिंह, जूनियर इंजीनियर सर्फुद्दीन आदि सम्मिलित हुए।


