
साभार विद्यापति मिश्रा



नवरात्रि के नौ दिनों में हम पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना करते हैं । शैलपुत्री का अर्थ है, वह ऊर्जा जो हमें अपने अनुभवों और गुणों के उच्चतम बिंदु तक पहुँचने में सहायता करती है।


देवी कैलाश पर्वत की पुत्री है, लेकिन योग के पथ पर इसका अर्थ है उच्चतम शिखर या चेतना का उच्चतम स्तर।
जब ऊर्जा अपने चरम पर होती है, तभी आप इसके प्रति सचेत हो सकते हैं या इसे पहचान सकते हैं।ऐसा होने पर आप शुद्ध चेतना अर्थात दैवी को जान सकते हैं और उस शक्ति को अनुभव कर सकते हैं।
इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।
नवरात्रि के प्रथम दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।