
शिक्षा के रचनात्मक आयाम के प्रबल पैरोकार थे टैगोर: ललितेश्वर कुमार


जीरादेई। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर सच्ची शिक्षा के द्वारा वर्तमान के सभी वस्तुओं में मेल और प्रेम की भावना विकसित करना चाहते थे। टैगोर का विश्वास था कि शिक्षा प्राप्त करते समय बालक को स्वतंत्र वातावरण मिलना परम आवश्यक है। टैगोर शिक्षा का मूल उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना मानते थे। ये बातें सोमवार को तितरा में राष्ट्र सृजन अभियान द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय महासचिव श्री ललितेश्वर कुमार ने कहा। इस अवसर पर राष्ट्र सृजन अभियान के महासचिव ललितेश्वर कुमार सहित राष्ट्र सृजन अभियान के बौद्धिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक गणेश दत्त पाठक, जिलाध्यक्ष अशोक राय , डा0 प्रेम शर्मा,महामंत्री जयप्रकाश तिवारी, राजन तिवारी, विशाल गोस्वामी, सखि चन्द्र साह, संतोष गुप्ता, रेयाजूल हक, मनोज कुमार, शानू राय, अंकेश कुमार,छोटू सोनी, कैलाश राय आदि उपस्थित रहे।


इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में राष्ट्र सृजन अभियान के राष्ट्रीय महासचिव श्री ललितेश्वर कुमार ने कहा कि पाश्चात्य महान विचारक रूसो की भांति टैगोर भी प्रकृति को बालक की शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ साधन मानते थे।
राष्ट्र सृजन अभियान के बौद्धिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक गणेश दत्त पाठक ने परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा कि गुरुदेव टैगोर आधुनिक भारत में शैक्षिक पुनरुत्थान के सबसे महान विभूति थे। वे अपने देश के सामने शिक्षा के सर्वोच्च आदर्शों को स्थापित करने के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे तथा उन्होंने अपनी शिक्षा संस्थाओं में शैक्षिक प्रयोग किए जिन्होंने उनको आदर्श का सजीव प्रतीक बना दिया।
