
राम जयपाल महाविद्यालय के सह-आचार्य सह बर्सर आज 42 वर्षों की सेवा के उपरांत सेवानिवृत हुए । इस अवसर पर राम जयपाल महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी । विदाई समारोह के अवसर पर बोलते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर इरफान अली ने कहा कि प्रेमचंद यादव ने महाविद्यालय को गाढ़े वक्त में अपनी कीमती सेवाएं प्रदान की । ऐसे समय में जबकि महाविद्यालय पर अनेकानेक कारणों से संकट के बादल घिर आये थे, प्रेमचंद यादव ने सूर्य की प्रखरता, तेजस्विता और ऊर्जस्विता दिखलाते हुए इन संकटों को क्षीण-भिन्न कर दिया । राजू प्रसाद ने प्रेमचंद यादव को ‘यथा नाम तथा गुण’ वाला बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने सहकर्मियों के बीच सदैव प्रेम की वर्षा की । डॉक्टर नागेंद्र शर्मा ने उनकी सेवानिवृत्ति को जीवन के दूसरे अध्ययय के रूप में रेखांकित किया । डॉक्टर गरिमा मदान ने उन्हें पिता तुल्य बतलाया वहीं डॉ तोषी प्रेमचंद यादव को याद करते हुए अत्यंत भावुक हो उठीं । उन्होंने कहा कि सूर्य के समान डॉक्टर प्रेमचंद यादव के चरित्र का बखान मुझ जैसे अल्पज्ञ से संभव नहीं । डॉ अमित रंजन ने प्रेमचंद यादव को जीवन के द्वितीय अध्याय के लिए बधाई दिया ।
डॉ नागेश्वर वत्स,जो पूर्व में इसी महाविद्यालय के छात्र भी रहे हैं, ने अपने छात्र जीवन के डॉक्टर प्रेमचंद यादव से जुड़ी हुई यादों को साझा किया । डॉ एमन रियाज ने कहा कि प्रेमचंद यादव के इस विस्तृत कालखंड की यादों को इतने कम समय में बता पाना संभव नहीं है । दर्शनशास्त्र के डॉक्टर विश्वकर्मा ने दार्शनिक अंदाज में अपनी बात को रखा । डॉक्टर शकील अहमद अत्ता, डॉक्टर शिव प्रकाश यादव, डॉ अनीता, डॉक्टर अब्दुल खालिक सैयद, डॉक्टर जितेंद्र वत्स, डॉक्टर विद्याधर, डॉक्टर संजीव कुमार सुधांशु, डॉक्टर राकेश यादव, डॉक्टर अखिलेश कुमार सरोज आदि ने भी प्रेमचंद यादव जी से जुड़े हुए रोचक संस्मरण सुनाते हुए विदाई के कारण गमगीन हुए माहौल में हंसी- खुशी के क्षण बिखेरे । डॉक्टर विबुध केसरी ने अत्यंत भावुक शब्दों में प्रेमचंद यादव को अपने जीवन का मार्गदर्शक और सच्चा पथ-प्रदर्शक बतलाया । समारोह के अवसर पर डॉ सत्येंद्र ने गीत गाया । शिक्षकेतर कर्मियों में देवेश राय,राजकुमार राय प्रेमचंद यादव को याद करते हुए भावुक हो उठे । मंच संचालन कर रहे डॉ मनीष सिंह ने बीच-बीच में प्रेमचंद यादव से जुड़े हुए कई मजेदार प्रसंग बतलाए ।
अंत में डॉ प्रेमचंद यादव ने महाविद्यालय के निर्माण के समय से लेकर अब तक की घटनाओं और लम्हों को याद किया । उन्होंने महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य डॉ हीरालाल राय को याद करते हुए महाविद्यालय के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।


