Wednesday, October 4, 2023
HomeUncategorizedमेडिको लीगल के तहत यौन हिंसा पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

मेडिको लीगल के तहत यौन हिंसा पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

किसी व्यक्ति की सहमति के वगैर गलत तरीके से कुछ भी छूना
यौन उत्पीड़न: डॉ अपर्णा डे
रेप जैसी घटनाओं पर स्वास्थ्य विभाग भी हैं सजग: सिविल सर्जन
यौन उत्पीड़न या आपराधिक गर्भपात आदि कारणों से लगने वाली चोट को मेडिको लीगल की होती हैं आवश्यकता: डीपीएम
सभी की जिम्मेदारी बनती है कि यौन शोषण की शिकार पीड़िता का सहयोग करें: केयर इंडिया

पूर्णिया, 19 फरवरी।
स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न से पीड़ितों के परीक्षण को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य इस तरह के मामलों में खास तौर पर महिलाओं एवं युवतियों के साथ किसी अन्य के द्वारा यौन उत्पीड़न किये जाने के बाद पीड़िता को चिकित्सीय सलाह एवं उचित मार्गदर्शन को लेकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल परिसर स्थित जिला प्रतिरक्षण कार्यालय के सभागार में
एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन स्वास्थ्य विभाग एवं केयर इंडिया के संयुक्त प्रयास से किया गया। इस प्रशिक्षण के आयोजन में ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों से दो-दो चिकित्सा पदाधिकारियो को शामिल किया गया था। जिन्हें मेडिको लीगल से संबंधित मामलों के निष्पादन करने का अनुभव प्राप्त है। मास्टर ट्रेनर के रूप में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अर्पणा डे के द्वारा उपस्थित सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से मास्टर ट्रेनर डॉ अपर्णा डे, जबकिं केयर इंडिया की ओर से राखी घोषाल एवं शिखा कुमारी, सीएस डॉ एसके वर्मा, डीआईओ डॉ विनय मोहन, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, केयर इंडिया के डीटीएल आलोक पटनायक सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

किसी व्यक्ति की सहमति के बगैर गलत तरीके से कुछ भी छूना
यौन उत्पीड़न: डॉ अपर्णा डे
मास्टर ट्रेनर के रूप में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अर्पणा डे ने उपस्थित समूह को बताया कि किसी भी प्रकार की यौन क्रिया या यौन क्रिया करने का प्रयास, अवांछित यौन टिप्पणियां या छींटाकशी, किसी तरह से दिया गया प्रस्ताव, अवैध तरीक़े से किया गया प्रयास, घर या दफ्तर सहित लेकिन उस तक ही सीमित नहीं, ऐसी किसी व्यवस्था में पीड़ित से किसी भी तरह से संबंध होने के बावजूद किसी व्यक्ति द्वारा जबरदस्ती नुकसान पहुंचाने की धमकी देकर या शारीरिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति की यौनिकता के खिलाफ किया गया कार्य को यौन उत्पीड़न के रूप में माना गया है। जो कि एक तरह से यौन हिंसा का ही दूसरा रूप है। यह एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग बलात्कार के साथ किया जाता है। यौन उत्पीड़न में किसी व्यक्ति की सहमति के बिना गलत तरीके से उसके शरीर को छूने से लेकर जबरदस्ती संभोग तक कुछ भी शामिल किया जा सकता है।

रेप जैसी घटनाओं पर स्वास्थ्य विभाग भी हैं सजग: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए है कि रेप जैसे मामलों को लेकर सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तत्पर है कि यौन शोषण की शिकार महिलाओं को उचित सलाह एवं मार्गदर्शन दिया जाए। ताकि वह अपना अधिकार खुद ले सके। यह दिशा-निर्देश उन सरकारी एवं निजी चिकित्सकों के लिए बनाई गई है जो यौन उत्पीड़न मामलों में चिकित्सीय परीक्षण के लिए बुलाये जाते हैं। नये रेप कानून में यौन से संबंधित पीड़िता का चिकित्सीय सलाह या उपचार किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान द्वारा मना नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह दंडनीय अपराध घोषित है। जिसमें कैद, आर्थिक दण्ड या दोनों का प्रावधान है। यह दिशा-निर्देश संवेदनशील एवं मानवीय प्रयास है जो उत्पीड़ितों को उचित चिकित्सा था दस्तावेजीकरण करने में चिकित्सकों द्वारा कार्य निष्पादन में काफ़ी मददगार साबित होगा।

यौन उत्पीड़न या आपराधिक गर्भपात आदि कारणों से लगने वाली चोट को मेडिको लीगल की होती हैं आवश्यकता: डीपीएम
स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-39 के अनुसार इस मामले में चिकित्सक का विधिक कर्तव्य होता है कि प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराने के बाद तत्काल वह अपने निकटतम पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दे, ताकि पुलिस त्वरित कार्यवाही शुरू कर अधिक से अधिक साक्ष्य एकत्र कर सके। जिसके तहत मेडिको-लीगल को चोट या बीमारी से संबंधित या इसके अंतर्गत वाहन दुर्घटनाओं, दहन, संदिग्ध हत्या/हत्या, यौन उत्पीड़न तथा आपराधिक गर्भपात आदि कारणों से लगने वाली चोट या संबंधित रोगों को शामिल किया गया है। वर्तमान समय में छोटे-छोटे मासूम बच्चों में मोबाइल फ़ोन के माध्यम से पोर्नोग्राफी देखने की परंपरा शुरू हो गई है। जिस कारण उनमें सेक्स की भावना जागृत हो जाती है। ऐसे में वो किसी भी अपराध खासकर यौन अपराध को करने में गुरेज नहीं करते है। इन अश्लील विडियो से बच्चों को दूर रखकर यौन हिंसा को कम किया जा सकता है।

हम सभी की जिम्मेदारी बनती हैं कि यौन शोषण की शिकार पीड़िता का सहयोग करें: केयर इंडिया
केयर इंडिया की ओर से आई राखी घोषाल एवं शिखा कुमारी ने संयुक्त रूप से उपस्थित सभी चिकित्सा पदाधिकारियों से कहा कि यौन हिंसा का सबसे बड़ा कारण महिलाओं में जागरूकता की कमी देखी गई है। जिससे पीड़ित महिलाएं शिक्षा और जानकारी के अभाव में यह समझ नहीं पाती हैं कि वह इस हिंसा का शिकार बन रही है। खास कर छोटी उम्र की बच्चियों के साथ इस तरह के वारदात ज्यादा देखे जा रहे हैं। इस तरह के मामलों में हम सभी की जिम्मेदारी बनती हैं कि यौन शोषण की शिकार महिला या युवतियों को सबसे पहले चिकित्सीय उपचार के बाद सलाह दी जाए ताकि उसका हौसला बढ़े और यह समझ पाए कि उपचार होने के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। अगर उसे किसी तरह की कानूनी सलाह की जरूरत पड़े तो बेहिचक पुलिस को बुलाकर उसकी सहायता करें। वैवाहिक जीवन या लिव-इन-सबंधों में या डेटिंग के दौरान यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना या बल प्रयोग करना, अजनबियों द्वारा बलात्कार, सशस्त्र संघर्ष के दौरान सुनियोजित बलात्कार, यौन गुलामी, यौन संबंध के अनचाहे प्रस्ताव या यौन उत्पीड़न, बच्चों का यौन शोषण, मानसिक और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों का यौन शोषण, जबरन देह व्यापार और यौन शोषण के लिए अवैध व्यापार, गर्भनिरोधन के उपयोग के अधिकार या यौन संक्रमणों से बचाव के अन्य उपायों को अपनाने से रोकना, जबरन गर्भपात या जबरन नसबंदी करना, महिला के जननांग काटना, कौमार्य का निरीक्षण, जबरन अश्लील साहित्य दिखाना भी यौन उत्पीड़न के मामलें में आता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments