
मान लिया तो हार है और ठान लिया तो जीत है जी हां इसी कहावत को चरितार्थ करती है अंकिता सैकड़ो लोगो की बन गई है प्रेरणास्रोत
अपनी दृढ इच्छा शक्ति के बदौलत एक गरीब परिवार की बेटी अपनी उज्जवल भविष्य के सपनों को साकार करने के लिए हाथ नहीं होने पर पैरौ से लिखकर स्नातक दुतीय खण्ड का परीक्षा में शामिल हो रही है , अपने संकल्प, विश्वास, धैर्य और उत्साह से अंकिता दिव्यांगता को पीछे छोड़ कर अपने मंजिल की तलाश में पढाई को जारी रखे हुए है। शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ़ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर अंकिता अपनी तकदीर लिख दी
20 वर्षीय अंकिता सारण जिले के बनियापुर प्रखंड के हरपुर बाजार के रहने वाले अशोक प्रसाद गुप्ता की बेटी है। अंकिता हाथों से मजबूर होने के बाद भी पैरों से किस्मत लिखने पर अमादा है। हाथों से काम न कर पाने के कारण अंकिता पढ़ाई तो कर सकती थी, लेकिन कुछ लिख पाने में अक्षम थी। इसके बाद उसने पैरों की उंगलियों में कलम लगाकर लिखना शुरू कर दिया। साथ ही अंकिता कुछ भी बोल पाने में भी अक्षम है। वह सिर्फ इसारों से ही बात करती है। पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देखकर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो रहे थे,


