
कहते हैं,राजा दक्ष के द्वारा जब शिव अपमानित किये गये तो माता सती इस अपमान को नहीं सह सकीं और जलते कुंड में कूद कर जान दे दीं।यह सुनते ही प्रभु क्रोधित हुए और दहकती कुंड से माता के मृत शरीर को निकाल कर कंधे पर रखा व लगे पृथ्वी पर तांडव करने।दक्ष का समूल नाश तो किया ही पूरी पृथ्वी को मिटाने पर तूल गये।यह चिंतनीय बात थी।माता के शव का वो हिस्सा,जो यत्र-तत्र गिरे,वह शक्ति पीठ बना पर शिव का क्रोध शांत नहीं हुआ, ऐसे में विष्णु ने अपनी माया से सब कुछ भस्म में परिवर्तित कर दिया।जब कुछ भी शेष नहीं बचा तो हमारे शिव ने उस भस्म को ही अपने पूरे शरीर में लपेट लिया।
यह मिथकीय कथा हो सकती है पर शिव का भस्म के संग का रिश्ता एक संदेश भी है।यह एक दर्शन है।इस ब्रम्हांड में विचरते सभी को एक न एक दिन नष्ट हो जाना है।नष्ट होने की इस अवस्था में सभी भस्म का ही रुप लेते हैं।आदमी के मृत शरीर की कौन कहे, मिट्टी को भी जलाया जाय तो उस की अंतिम अवस्था भस्म ही होगी।भगवान शिव का यह संदेश जीवन की नश्वरता को रेखांकित करती है।
हमारे धर्म में एक “नागा संप्रदाय” है।ये लोग नग्न शरीर में ही घूमते रहते हैं,
“दिगंबर अखाड़े” से जुड़े नागा साधु अपने पूरे शरीर में भस्म लगाये रहते हैं।यही उनका श्रृंगार होता है।नागाओं के पंथ- “नवनाथ पंथ” में एक सूत्र है-“उलटंत भभूत-पलटंत काया”-
अर्थात शरीर पर भस्म उड़ेला-काया बदल गई।”चढ़ी भभूत,मन हुआ निर्मल”-स्पष्ट है इस का भी अर्थ।
भस्म ही भभूत है।इसका चमत्कार भी आपको देखने को मिला होगा।किसी साधु ने भस्म दिया,आप खाये और आपकी बिमारी खत्म।आर्युवेद में सोना भस्म,चांदी भस्म,
अभ्रक भस्म जैसे ना जाने कितने भस्मों के प्रकार हैं,जो असाध्य रोगों को भी शीघ्र ही ठीक कर देते हैं।साधुओं के भस्म भी संभवतः ऐसे ही प्रयोग से बनाये गये होंगे,तभी तो यह चमत्कार देखने को मिलता है।
इस भस्म का शरीर पर होने वाले प्रभाव के पीछे कुछ विज्ञान भी है।जैसे हीं आप भस्म लपेटेंगें,आप के शरीर के हर रोम कूप सुरक्षित हो जाते हैं।शरीर के भीतर से ना तो बाहर पसीना निकलेगा और ना ही कोई बाहरी रोगाणु आपके शरीर के भीतर घुस पायेगा।
भस्म या भभूत के भी प्रकार हैं।मुर्दा शरीर के भस्म से तो महाकाल की आरती तक होती है।आप उज्जैन जायें
,वहां प्रतिदिन महाकाल की छ: प्रकार से भस्म आरती की जाती है।यह जानना और रोचक होगा कि मुर्दे की भस्म में भी कुछ यौगिक क्रियाएं की जाती हैं।
यह देश यद्यपि आध्यात्मिक देश है पर इस के पीछे के छुपे सिद्धांत चौंकाते हैं।ऐसी ढ़ेरों बातें हैं,जिस पर शोध किये जाने की आवश्यकता है।


