
जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में जयंती समारोह की तीसरी कड़ी में आचार्य शिवपूजन सहाय एवं बाबू महेशनारायण की जयंती दो सत्रों में मनाई गई। समारोह का उद्घाटन स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डा. अनिता एवं एवं मुख्य अतिथि ब्रजेंद्र सिन्हा जी ने संयुक्त रूप से मंत्रोच्चार के बिच दीप प्रज्वलित कर किया।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को आचार्य शिवपूजन सहाय और बाबू महेशनारायण जी के साहित्य में योगदान को बताते हुये कहा शोध छात्र होने का अर्थ है कि वैसे लोग जो बड़े रचनाकर होने के बाद भी किसी कारणवश मुख्यधारा में नहीं आ पाये, उन्हें शोध के माध्यम से सामने लाना। उन्होंने छपरा शहर के साहित्य में योगदान को भी रेखांकित किया।
विभाग के प्रोफेसर अजय ने आचार्य शिवपूजन सहाय की भाषा को अनुकरणीय बताया। आगे कहा कि ये भाषा का ही कमाल था कि आचार्य जी ने अपने समय के लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं का संपादन किया।


विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर ने भी इस विषय पर अपना मत रखा और कहा छायावाद की पहली रचना के रूप में जूही की कली को हम जानते हैं लेकिन आपको ये पता होना चाहिए कि बाबू महेशनारायण जी ने 1881 में ही मुक्तछंद में स्वप्न नाम से एक लम्बी कविता लिखी। आज विश्वविद्यालयों में इस विषय पर शोध की आवश्यकता है। पत्र पत्रिकाओं में लेख छपवाने की आवश्यकता है।
अध्यक्षीय वक़्तव्य देते हुए विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनीता ने कहा बाबू महेशनारायण वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले अपने बिहारी होने का दावा किया। नारायण जी का योगदान सिर्फ साहित्य तक सिमित नहीं है वो बड़े स्वतंत्रता सेनानी भी थे। डॉ. अनीता ने आगे कहा कि छात्रों को पुरी जानकारी लेकर ही किसी विषय पर बोलना चाहिए। क्योंकि आज जिस गूगल का ज़माना है वहां सबकुछ मिल तो जाता है लेकिन उस जानकारी की सत्यता कटघरे में होती है। ऐसे में किताबों का सहारा लेना ज्यादा उचित है।
इस अवसर पर किरण, राज कुमारी, इला, प्रियंवदा ने स्वगात गीत गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
शोधार्थी बालकिशोर कुमार और प्रियंवदा ने बीज वक़्तव्य दिये।
शोधार्थी नेहा ने इस अवसर पर पोस्टर बनाकर प्रदर्शित किया। इस समारोह में सर्वेश, इला और अन्य शोधार्थियों ने अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम का सफल संयोजन एवं संचालन शोधार्थी विजय कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी रितिका उत्तम ने किया।
इस अवसर पर विभाग के सहायक राकेश कुमार के साथ ही शोधार्थी मंजू भारतीय, रूबी, भरत कुमार, नीतू कुमारी, पंकज कुमार, विश्वजीत कुमार, विभा देबी, राकेश कुमार सोनिबाला, रामप्रकाश और अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।


