


छपरा शहर के खनुआ नाला के विस्थापित दुकानदार किराएदार संघ के बैनर तले बुधवार को विरोध दिवस मनाया गया। दुकानदारों व किरायदार व्यवसायियों ने मौन जुलूस निकाल शहर का भ्रमण किया। यह जुलूस नगरपालिका चौक पर पहुंच नुक्कड़ सभा में तब्दील हो गई। सभा को संबोधित करते हुए दुकानदारों और किरायदारों ने अपनी व्यथा बतायी। उन्होंने कहा कि उन्हें नगर परिषद ने खनुआ नाला पर दुकान बनवा कर दिया था। बदले में उनसे संचित राशि ली गई । हम दुकानदार और किराएदार नगर परिषद को हर माह किराया देते रहे। एनजीटी के आदेश पर बगैर पुरवास व मुआवजा की व्यवस्था किए एक झटके में विस्थापित कर दिया गया। दुकानें तोड़ दी गई और दुकानदार और कर्मचारी सड़क आ गए । अब उनके परिवार और आश्रितों के समक्ष भुखमरी की स्थिति है। धरना सभा के बीच धरनार्थियों का शिष्टमंडल सामूहिक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन जिलाधिकारी और नगर निगम के आयुक्त सौंपा। ज्ञापन में विस्थापित दुकानदारों के लिए शहर में दुकान बनवाकर पुनर्वास की व्यवस्था करने और बेरोजगार दुकानदारों को मुआवजा देने की मांग की गई।
अब उनकी पूंजी तो डूब ही गई है , वे अन्य किसी कार्य में लग के फिर व्यापार खड़ा करने के कठीन मानसिक संघर्ष से गुजर रहे हैं । सरकार और नगर निगम को उन्हें पुनः दुकानें बनाकर देना चाहिए ।
युवा नेता जन सुराज पार्टी के नगर पदाधिकारी अजीत कुमार सिंह ने विस्थापित दुकानदारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि नई दुकानें मंडी की अवधारणा के अनुसार बनाकर उन्हें एक ही स्थान सभी सुविधायुक्त परिसर में दुकानें आवंटित करना चाहिए
प्रो पृथ्वी राज सिंह ने मीडिया में चलाए जा रहे अतिक्रमण शब्द पर प्रतिवाद व्यक्त किया और कहा कि दुकानदारों ने खनुआ नाला की भूमि का अतिक्रमण नहीं किया था । वे विधिसम्मत तरीके से अनुबंध संपादित कर प्रतिमाह किराए का भुगतान कर रहे थे । यदि अतिक्रमण शब्द उपयुक्त है तो यह नहर प्रशासन के लिए प्रयुक्त होना चाहिए । दुकान नगर परिषद ने ही बनाया था , उसने ही इसे एन जी टी के आदेश के अनुसार तोड़ा है


