
_दुनिया कहती है जिसका उदय हुआ उसका डूबना निश्चित है, लेकिन छठ महापर्व हमे सिखाता है जो डूबता है उसका उदय भी निश्चित है छठ व्रत ही नही इमोशन भी है।
जी हां हम बात कर रहे हैं लोग आस्था के इस चार दिवसीय महापर्व छठ का जो की चार दिवसीय छठ पर्व को लेकर लोग इसकी तैयारी महीनों से करते है जो भी बाहर रहने वाले होते हैं वह अपने घर आने का इंतजार करते हैं इस व्रत में इस इस महापर्व में सभी अपने-अपने घर जरूर आते हैं वही बता दे कि इस व्रत में प्रयुक्त होने वाले बहुत तरह के ऐसे समान है जो हमें सामाजिक रूप से एकता बनाए रखने का संदेश देता है हालांकि यह चार दिनों का पर्व और महीनों की तैयारी इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत यही देखी जाती है कि लोग कैसे बहुत पहले से ही इसकी तैयारी में जुड़ जाते हैं लोक आस्था के इस महापर्व का आज दूसरा दिन करना है जिसे छठ व्रतियों के द्वारा मिट्टी के चूल्हे से लकड़ी जलाकर प्रसाद तैयार किया जाता है और उसे अपने सगे संबंधियों के साथ मिल बांट कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसमें उपयोग होने वाले मिट्टी के चूल्हे जो कि महीना पहले से इसे तैयार किया जाता है हालांकि आज खरना है जिसमें प्रसाद ग्रहण के लिए छठ व्रती खुद से आज यह प्रसाद बनाती हैं अगर बात करें प्रसाद में जो आते उपयोग होता है वह आटा चक्की में भी आज मंदिर के समान दिखता है जहां छठ व्रत का गेहूं पिसाई होता है वहां आप देखेंगे किस तरह लोग आटा चक्की में जाने से पहले ही अपना-अपना चप्पल उतार कर बाहर सड़क पर ही खड़क रख दिए हैं और तब जाकर आटा चक्की में प्रवेश करते हैं जैसे की आटा चक्की मंदिर हो यह है महिमा छठ व्रत का।इस व्रत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमे सबसे ज्यादा साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।


