
छपरा कुलपति की गाङी को बनने के लिए दीपक कुमार, कुलपति के चालक, मुजफ्फरपुर गैरेज में छोड़कर आ रहे थे।मुजफ्फरपुर जं पर दानापुर कैंट को जाने वाली गाङी की जनरल बोगी में एक महिला अपने 3 बच्चों के साथ चढ रही थी,लेकिन अत्यधिक भीङ के कारण उनके तीनों छोटे बच्चे प्लेट फार्म पर ही छूट गये।वे बच्चों के पास पहुंचने के लिए उतरने का बहुत प्रयास कीं परन्तु अत्यधिक भीङ के कारण वे प्लेटफार्म पर भी नहीं उतर सकीं।तीनों बच्चे बहुत रोने लगे।समान्य लोग तो बच्चों को रोता ही छोङ कर कोई उनके पास नहीं गये।
दीपक कुमार ने बताया कि जब वे बच्चों से मां का मोबाइल नंबर पूंछे तो 6 साल की बच्ची को मोबाइल नंबर याद था।अपने मोबाइल से जब मां के मोबाइल नंबर पर दीपक कुमार ने बात किया तो मां भी बहुत रो रही थीं।अवध आसाम से दीपक कुमार उन बच्चों को अपने साथ ट्रेन पर बैठाकर हाजीपुर ले आये। मां को पहले ही हाजीपुर उतरने के लिए बोल दिये थे।इस प्रकार दीपक कुमार तीनों बच्चों को उनकी मां से मिलवा दिये।
माननीय कुलपतिमहोदय ने कहा कि जब दीपक कुमार से ट्रेन में लोगों ने पूंछा कि आपने ऐसा क्यों किया जबकि अन्य लोगों ने कुछ नहीं किया।दीपक कुमार ने कहा कि हम जिस सर के साथ रहते हैं,उन्हीं से सीखा हूं कि जरूरत मंद की मदद करनी चाहिए।
माननीय कुलपतिमहोदय ने इस कार्य के लिए विश्वविद्यालय में दीपक कुमार को सम्मानित किया।


