
सारण/मनीष पाण्डेय मिन्टू
शुक्रवार को राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबट एल चोग्थू ने जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के कुलसचिव रवि प्रकाश बब्लू को पदमुक्त करने के संबंध में पत्र जारी किया।पत्र जारी होते ही पूरे प्रमंडल में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।सब कुछ तो ठीक चल रहा था।ऐसा क्या घटित हुआ कि राजभवन ने अहले सुबह ही पत्र जारी कर दिया।पूरे विश्वविद्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था।कोई कर्मचारी या अधिकारी कुछ बोलने से बच रहे थे।
जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव हटाने के पीछे की कहानी कुछ अलग है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ रवि प्रकाश बबलू पर निगरानी समेत अनेक थानों में लगभग 10 भ्रष्टाचार एवं अन्य अपराधिक मुकदमे दर्ज थे। जैसे ही तत्कालीन कुलाधिपति श्री फागू चौहान ने इनकी नियुक्ति जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा में की आर बी जी आर महाविद्यालय महाराजगंज छात्र संघ के अध्यक्ष राजन कुमार सिंह के द्वारा महामहिम कुलाधिपति महोदय को आवेदन दिया गया महामन कुलाधिपति कार्यालय से कोई भी कार्रवाई नहीं होने के बाद छात्र संघ के अध्यक्ष राजन कुमार सिंह पटना उच्च न्यायालय मे भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीटेड कुलसचिव डॉ रवि प्रकाश बबलू को कुलसचिव के पद से मुक्त करने के लिए सी डब्ल्यू जे सी 13089/2021 दायर कर दिया। पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हुई अभी सुनवाई चल ही रही थी। तब तक राजभवन की ओर से कहा गया कोर्ट में कि इन्हें टेंपरेरी कुलसचिव का प्रभार दिया गया है तब तक बिहार के नए गवर्नर राजेंद्र आर्लेकर बन गए उनके समक्ष कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राय रणविजय देव ने इनके नियुक्ति को लेकर चैलेंज किया इन्होंने जो गलत तरीके से निगरानी से बिना स्वच्छता प्रमाण पत्र लिए गुपचुप तरीके से प्रमोशन प्रोफेसर में ले लिया है उसको लेकर चैलेंज किया. शादी उत्तर पुस्तिका घोटाले के मेन अभियुक्त होने के कारण इनका पनिशमेंट ट्रांसफर हुआ था उसको लेकर कंप्लेन हुआ कि इन्होंने जयप्रकाश विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग में कैसे अपना ट्रांसफर करा लिया जयप्रकाश विश्वविद्यालय शोध संस्थान के निदेशक बन गए हैं जबकि ऐसा कोई भी पद विश्वविद्यालय में सृजित है ही नहीं। राजभवन सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है इन दोनों बिंदुओं पर भी तुरंत कार्रवाई होगी। तब तक महामहिम कुलाधिपति महोदय सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करने जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा में पहुंच गए उस दौरान सीनेट के सदस्यों के द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में चार्जसीटेड कुलसचिव को कैसे बनाया गया है। उसी समय महामहिम कुलाधिपति ने कहा था कि भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे उसी समय अंदेशा जाहिर हो गया था कि इन पर कार्रवाई तय है प्रमुख रूप से डॉ रवि प्रकाश बबलू पर आरोप इस प्रकार है
राजभवन के पत्रांक BSU ( Registrar ) – 27 / 2017-698 / GS ( I ) दिनांक 19.05.2021 के द्वारा विश्वविद्यालय के एकेडमिक एवं प्रशासनिक हित का हवाला देते हुए डॉ रविप्रकाश बबलू , एसोसिएट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र विभाग , हरिर कॉलेज , गैरवा , सिवान को जयप्रकाशश विश्वविद्यालय का कुलसचिव नियुक्त किया गया और डॉ बबलू ने उक्त आदेश के आलोक में दिनांक 19.05.2021 को ही कुलसचिव पद पर योगदान भी कर लिया । विदित हो कि डॉ . रवि प्रकाश बबलू जय प्रकाश विश्वविद्यालय , छपरा में बहुचर्चित करोड़ों रुपये की उत्तरपुस्तिका खरीद घोटाले से संबंधित निगरानी थाना कांड सं0- 10 / 2015 दिनांक 31.01.2015 द्वारा धारा 409 , 420 , 467 , 468 , 477 ( ए ) 34. 120 ( बी ) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के धारा 13 ( 1 ) डी . तथा 13 ( 2 ) के तहत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो , पटना द्वारा दर्ज मुकदमें के अभियुक्त हैं । भ्रष्टाचार के इस चर्चित मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो , पटना के अनुरोध पर तत्कालीन कुलाधिपति महामहिम रामनाथ कोविंद ( सम्प्रति भारत के राष्ट्रपति ) की अनुमति से तत्कालीन प्रधान सचिव श्री ब्रजेश महरोत्रा ने अपने पत्रांक जे . पी.यू. 27 / 2015-1309 रा ० स ० ( 1 ) दिनांक 10.09.2015 के द्वारा इस कांड के अन्य अभियुक्तों ( तत्कालीन कुलपति सहित ) के साथ डॉ . रवि प्रकाश बबलू जो उस समय विश्वविद्यालय में समायोजक महाविद्यालय विकास परिषद के पद पर थे . के विरूद्ध भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितता का आरोप सही पाते हुए अभियोजन की स्वीकृति प्रदान किया । राजभवन से अभियोजन की स्वीकृति मिलने के उपरांत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने निगरानी कोर्ट , मुजफ्फरपुर में दिनांक 12.10.2015 को डॉ . रवि प्रकाश बबलू के विरुद्ध आरोप पत्र ( चार्जसीट ) सं 064 / 2015 समर्पित किया ( अनु ० – 4 ) । भ्रष्टाचार के इस मुकदमें में डॉ . बबलू सम्प्रति जमानत पर है और मुकदमा निगरानी कोर्ट , मुजफ्फरपुर में लंबित है । विदित हो कि वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के उक्त मामले में डॉ . आर.पी. बबलू के साथ तत्कालीन कुलपति प्रो . द्विजेन्द्र गुप्ता भी अभियुक्त थे और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने राजभवन से उनके विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति मिलने के उपरांत निगरानी कोर्ट , मुजफ्फरपुर में आरोप पत्र दायर किया । निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा आरोप पत्र समर्पित करने के उपरांत तत्कालीन कुलाधिपति महामहिम रामनाथ कोविंद ने राजभवन सचिवालय के पत्रांक JPU – 21 / 2014-1628 / GS ( I ) दिनांक 02.12.2015 द्वारा तत्कालीन कुलपति प्रो ० द्विजेन्द्र गुप्ता को कुलपति पद से बर्खास्त कर दिया । मामले की गंभीरता इस तथ्य से भी परिलक्षित होता है कि बिहार में उच्च शिक्षा के इतिहास में पहली बार किसी कुलपति को भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितता के प्रमाणित आरोप में बर्खास्त किया गया । इतना ही नहीं वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार मामले में कुलपति को सहयोग करने वाले शिक्षकों पदाधिकारियों को बिहार राज्य वि ० वि ० अधिनियम 1976 की धारा 69 ( 4 ) के तहत राजभवन ने डॉ . आर . पी . बबलू सहित अन्य आरोपियों को निलंबित कर दिया । विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही हेतु एक समिति गठित किया जिसने अपने प्रतिवेदन में राजभवन से अनुशंसा किया कि आरोपी शिक्षकों को इस शर्त के साथ निलंबन मुक्त किया जा सकता है कि दंड के तौर पर इनका स्थानान्तरण कर भविष्य में इन्हें कोई प्रशासनिक दायित्व नहीं दिया जाए और न ही किसी वैधानिक कमिटी वगैरह में नामित किया जाए । जिसे राजभवन ने अपने न्यायिक आदेश संख्या JPU ( Appeal ) -13 / 2016-1416 GS ( I ) दिनांक 28.07.2016 में स्वीकार करते हुए इन्हें निलंबनमुक्त करने का आदेश दिया । राजभवन के न्यायिक आदेश का अनुपालन करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 30.07.2016 को डॉ . आर.पी. बबलू को निलंबनमुक्त कर दंड स्वरूप आर.वी.जी.आर कॉलेज , महाराजगंज से हरिराम कॉलेज , मैरवा , सिवान स्थानान्तरित कर दिया और तबसे डॉ . बबलू यहीं पदस्थापित है । विदित हो कि डॉ बबलू कई आपराधिक मामलों में आरोपी हैं । भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त तत्कालीन कुलपति प्रो . द्विजेन्द्र गुप्ता के विश्वासपात्र राजदार होने की वजह से डॉ बबलू प्रभारी कुलसचिव सहित कई पदों पर आसीन थे और इनकी निरंकुशता इतनी बढ़ गयी थी कि वे राजभवन के आदेश को भी नहीं मानते थे राजभवन के आदेशों की लगातार अवमानना एवं अनुशासहीनता की वजह से महामहिम ने डॉ . रवि प्रकाश बबलू का स्थानान्तरण दर्शन शास्त्र विभाग , जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा से आर.बी.जी.आर. कॉलेज , महाराजगंज , सिवान कर दिया था । इनके क्रियाकलापों से नाराज राजभवन ने इन्हें दो बार प्रभारी कुलसचिव सहित तमाम पदों से मुक्त करने का आदेश कुलपति को दिया था । चार्जसीटेड होने के बाद जब इन्हें कुलसचिव पद से हटाया गया तो घोटाले से संबंधित संचिकाओं को भी ले भागे । इस कुकृत्य के लिए तकालीन कुलानुशासक ने इनके विरुद्ध संचिका गायब करने संबंधी आपराधिक मुकदमा भी दायर किया ।
डॉ ० रवि प्रकाश बबलू ने राजभवन के स्थानांतरण आदेश को पटना उच्च न्यायालय में स.डब्लू.जे . सी . 943/2015 के द्वारा चुनौती भी दिया था लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इनके आपराधिक इतिहास , भ्रष्टाचार एवं अनुशासहीनता संबंधी ब्यौरा जबांवी हलफनामा के माध्यम से न्यायालय के समक्ष सप्रमाण दाखिल किया तो इन्होंने अपना मुकदमा वापस ले लिया इस तरह राजभवन की अनुमति एवं आदेश पर वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजित एवं आरोपित तथा भविष्य में कोई भी प्रशासनिक दायित्व नहीं देने के निर्देश के बावजूद डॉ . रवि प्रकाश बबलू को राजभवन द्वारा पुनः कुलसचिव पद पर नियुक्त करने से विश्वविद्यालय के शिक्षक कर्मचारी छात्र संघ एवं बुद्धिजीवी आर्श्चयचकित एवं मर्माहत थे ।


