


छपरा
उर्दू केवल भाषा नहीं ब्लकि एक सस्कृति का नाम है. इसका समावेश हिन्दी के साथ भारत की तमाम भाषा में है. इसके बोलने से बात में असर, लचक और प्रभाव बढ़ जाता है. उक्त बातें जिला उर्दू भाषा कोषांग के तत्वावधान में मगलवार को डीआरडीए के सभागार में आयोजित फरोग-ए-उर्दू सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डीएम राजेश मीणा ने कही. उन्होंने कहा कि उर्दू प्यार व मुहब्बत की जुबान है. इसके विकास की सरकार के स्तर पर हर पहल की जा रही है. आम लोगों को भी इसमें सहयोग करने की आवश्यकता है. ऐसे कार्यक्रम लगातार आयोजित होते रहने चाहिएं. विद्यालय स्तर पर इसके शिक्षण को बढावा देने की कोशिश होनी चाहिए. विशिष्ट अतिथि डीडीसी अमित कुमार ने उर्दू को बढ़ावा देना जरूरी है. उन्होने कहा क़ि उर्दू को राज्य का द्वितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है. इस तरह के आयोजन से उर्दू के विकास को बल मिलेगा. एडीएम डॉ गगन ने कहा कि उर्दू भाषा की भारतीय होने पर किसी को कोई संदेह नही होना चाहिए. यह यहीं जन्मी, पली और बढ़ी है. उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल ने कहा कि उर्दू के विकास में हम सब की भागीदारी बराबर की है. सरकार अपनी कोशिश कर रही है लेकिन उस से ज्यादा उर्दू वालों को जागरूक रहना होगा. इसके आलावा उर्दू के फरोग के हवाले से अरशद परवेज, अब्दुल कयूम अंसारी, जिलानी मोबीन, जहांगीर आलम ने भी अपनी बातों को रखते हुए कहा कि हिंदी और अंग्रेजी में शिक्षा दिलाने के साथ साथ उर्दू की शिक्षा जरूरी है तभी इसका विकास हो सकता है. अतिथियों का स्वागत उर्दू भाषा कोषांग प्रभारी सह डीएमडब्लूओ रजनीश कुमार राय ने किया.
अयोजन के दुसरे सेशन में शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया. शायरों में गोपालगंज के डाक्टर जकी अहमद हाशमी, सिवान के नूर सुल्तानी, मुश्ताक सिवानी, डॉ मोअज्जम अज्म, प्रो शमीम परवेज, प्रो शकील अन्वर, निर्भय नीर, कौसर होशाम, नजमुल्लाह नज्म, डॉ ऐनुल बरौलवी, शहीद जमाल, अब्दुस समद भयंकर वगैरा ने अपने अपने शायरी के माध्यम से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. मंच संचालन नदीम अहमद ने अपने शायराना अंदाज में किया.

