
रिविलगंज। बसन्त सिंह



मकर संक्रांति के एक दिन पुर्व शनिवार को सरयू नदी स्थित रिविलगंज के विभिन्न घाटों पर सैकड़ों महिला/पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा देशी व्यंजन लिट्टी-चोखा खा कर वर्षों पुरानी पारंपरिक प्रथा को जिवंत रखा जा रहा है। पौराणिक परंपरा के अनुसार सरयू नदी तट पर खरमास उतरने के दिन व मकर संक्रांति से पहले दूर-दूर से लोग आते हैं और नदी तट स्थित गौतम ऋषि मंदिर और श्रीनाथ बाबा मंदिर आदि परिसर में गोईठा पर सतू भरा लिट्टी बना कर और चोखा बना कर खाने आते हैं। पुर्वजों के अनुसार पौराणिक काल में गौतम ऋषि की कृपा से खरवास के महिने में साधू संतो ने तपस्या के दौरान भोजन के रूप में लिट्टी-चोखा सरयू नदी के घाट पर बना कर खाया करते थे। उसी समय से यहाँ हर साल लोग इस प्रथा का निर्वहन करने स्थानीय तथा दूर-दूर के लोग पुरे परिवार के साथ आकर गौतम ऋषि मंदिर और श्रीनाथ बाबा मंदिर सरयू नदी घाट पर आज भी लिट्टी चोखा बनाकर खाते हैं। और अपने सुखी जीवन के लिए कामना करते हैं। इस संबंध में पुछे जाने पर श्रद्धालुओं ने बताया कि गोदना सेमरिया स्थित मंदिर सरयू नदी घाट पर लिट्टी चोखा खरवास में खाने से पुन्य प्राप्त होता है। धनी छपरा गांव निवासी धनी सिंह के परिजनों में विदेशी एनआरआई देवी दयाल सिंह अपने परिजनों के साथ पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए श्रीनाथ बाबा मंदिर सरयू नदी घाट पर लिट्टी चोखा बनाकर खा रहे थे। धनी छपरा गांव निवासी मंजू देवी, रिंकु देवी,गीता देवी, संध्या देवी, शत्रुघ्न सिंह, शम्भु सिंह, बसंत सिंह, वेद प्रकाश सिंह, आदित्य कुमार सिंह उर्फ सुड्डू, अंजली कुमारी ,आयुश सिंह,सिंटू कुमारी,स्वीटी कुमारी, अनिकेत ,सोनू, मनीषा आदि दर्जनों परिजन अपने पुर्वजों के बताए रास्ते पर चल कर लिट्टी चोखा सरयू नदी घाट पर बना कर खाया और गांव समाज के लोगों के लिए शांति, सुख, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिये प्रार्थना किये।

