
साभार उदय नारायण सिंह वाट्सअप



काहे बांसुरिया बजवलऽ कि सुध बिसरवलऽ,गईल सुख चैन हमार-(क्यों बांसुरी बजाये,क्यों सुध बिसरा दिया,मेरा सुख-चैन लूट लिया?)ये बांसुरी जो है ना,गजब की चीज है।द्वापर में रास लीला इसी ने करवाया था।इस की फूंक में आग है आग।देखन में छोटन लगे,घाव करे गंभीर
-जैसी मुहावरा इसी पर लागू होती है।
लोक जगत से लेकर शास्त्र जगत तक में इस ने तहलका मचा रखा है।भारतीय शास्त्रीय संगीत के महत्वपूर्ण वाद्यों में से एक,यह सुषिर वाद्यों की श्रेणी में आता है।सुषिर मतलब वैसे वाद्य,जिन्हें फूंक मार कर बजाया जाता हो।कम से कम लागत में बेहतर से बेहतर प्रभाव छोड़ने का सामर्थ्य रखने वाला बांसुरी एक चरवाहा से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक चमत्कार दिखाने में सक्षम है।
आईए एक बार भी इस पर नजर डालिए।हो सके तो फूंकने का प्रयास कीजिए।आप फूंकेंगें तो आप तो झूमेंगें हीं,पूरी दुनिया को भी झूमा देंगे,ऐसा विश्वास है।फिर लोग कहेंगे -“श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा नाम”, आपका जवाब होगा-“राधा का भी श्याम,वो तो मीरा का भी श्याम।”-सुप्रभात 🙏🙏

