Monday, May 29, 2023
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इतिहास विभाग छपरा द्वारा इतिहासकार दामोदर धर्मानंद कोसांबी की इतिहास दृष्टि का प्रदाय शिक्षक पर एक परिचर्चा का आयोजन किया

विभाग जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा।

अध्यक्षता डॉ सैयद रजा (अध्यक्ष इतिहास विभाग जीपीयू)
मुख्य वक्ता डॉ सुधीर कुमार सिंह (इतिहास विभाग जेपीयू)

आज दिनांक 20 अगस्त 2022 को इतिहास विभाग छपरा द्वारा इतिहासकार दामोदर धर्मानंद कोसांबी की इतिहास दृष्टि का प्रदाय शिक्षक पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता डॉ सैयद रजा (अध्यक्ष इतिहास विभाग ) द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सुधीर कुमार सिंह थे।जबकि विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉक्टर राजेश कुमार नायक, डॉक्टर कृष्ण कन्हैया, डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी ,डॉ अभय कुमार सिंह रहे।इसके अलावा पीएचडी शोधार्थियों में अविनाश कुमार ,रंजीत कुमार, पंकज कुमार के अलावा कई छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में उपस्थित रहे। मंच का संचालन छात्रा सौम्या शालिनी ने किया। प्रतिवेदन अविनाश कुमार ने तैयार किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन दीपक कुमार जयसवाल ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर सुधीर कुमार ने डी डी कौशांबी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने उनके कार्यों की व्यापकता को देखते हुए महान गणितज्ञ, महान इतिहासकार एवं शांति के संरक्षक बताएं। उन्होंने वंश के परिवर्तन से ज्यादा समाज के भौतिक तत्वों में किस तरीके से परिवर्तन होता है और उसका समाज पर कैसा प्रभाव होता है इसको बताया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ राजेश नायक ने डी डी कौशांबी को मार्क्सवादी इतिहास लेखक के रूप में प्रथम स्थान पर रखा उन्होंने इतिहास की समग्रता पर जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि 50 के दशक के बाद किस तरह से इतिहास न सिर्फ राजवंशों का इतिहास रह गया बल्कि उसने सामाजिक एवं आर्थिक रूप भी ग्रहण किया।

विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉक्टर कृष्ण कन्हैया ने डी डी कौशांबी के जीवन चरित्र की व्यापक चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे डी डी कौशांबी ने मार्क्सवादी दृष्टिकोण में नए आयाम को जोड़ा।

डॉक्टर रितेसवर नाथ तिवारी ने बताया कि डी डी कौशांबी का सबसे बड़ा योगदान इतिहास का वैज्ञानिक कार्यक्रम किया जाना है। उन्होंने बताया कि डी डी कौशांबी ने मुद्रा शास्त्र को एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित किया।

डॉ अभय कुमार सिंह ने शोध की प्रासंगिकता एवं व्यापक स्तर पर व्यापक चर्चा की उन्होंने औपनिवेशिक का राष्ट्रीय इतिहासकारों के लिमिटेशंस को बताया एवं डी डी कौशांबी ने किस तरह से एक इतिहासकार के रूप में अन्य सभी साधनों का अनुप्रयोग करके इसे व्यापक बनाया यह बताया।
डॉक्टर श्याम प्रकाश ने इतिहास की पुरातात्विक गहराइयों पर व्यापक चर्चा की।
अध्यक्षीय भाषण के रूप में डॉ सैयद रजा ने dd kausambi के कृतित्व पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने ग्रास रूट लेवल पर इनके कार्यों का अवलोकन किया।

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