Wednesday, December 6, 2023
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आधुनिक इतिहास के अध्ययन के लिए अभिलेखागार अति महत्वपूर्ण : डॉ.अभय कुमार

छपरा

इतिहास विभाग जयप्रकाश विश्वविद्यालय के तत्वधान से आयोजित दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान में प्रथम दिन ” ऐतिहासिक शोध में अभिलेखागार का उपयोग ” पर विशिष्ट व्याख्यान देते हुए डीएवी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभय कुमार ने कहा कि आधुनिक इतिहास के अध्ययन के लिए अभिलेखागार अतिमहत्वपूर्ण है। उन्होंने अभिलेखागार के इतिहास,संगठन और ढांचा पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि अभिलेखागार में उपलब्ध स्रोतों के समझाने के लिए अभिलेखागार की इतिहास , और संबंधित विभाग की विभागीय संगठन को समझना होगा क्योंकि अभिलेखागार में वर्गीकृत फाइलों का संरक्षण के उनके विभाग के अनुसार किया जाता है। जैसे बिहार में रेलवे के विकास का अध्ययन कर रहे हैं तो हमें उस काल के लोकनिर्माण विभाग के फाइलों का अध्ययन करना होगा क्योंकि रेलवे का निर्माण लोक निर्माण विभाग के अधीन हुआ। 100 वर्षों से पूर्व का दस्तावेज बिना राष्ट्रीय अभिलेखागार की अनुमति के नष्ट नहीं किया जा सकता है। वास्तव में अभिलेखागार एक संस्कृतिक दस्तावेज होता है, जो आधुनिक काल की महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी होता है। इसी क्रम में उन्होंने मौखिक – परंपरा और मौखिक- इतिहास में अंतर बताते हुए यह बताया कि मौखिक इतिहास दस्तावेजीकरण का एक प्रक्रिया है। व्याख्यान क्रम में कल अभिलेखागार के स्रोतों का संदर्भ विषय पर ब्यख्यान आयोजित होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सैय्यद रज़ा ने किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय अभिलेखागार में अपने शोध के दौरान अनुभव को साझा किया एवं उन समस्याओं को बताया जो उन्होंने अपने शोध के दौरान राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली में सामना करना पड़ा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुधीर कुमार सिंह एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास विभाग ने किया। इस दौरान डॉ. कृष्ण कन्हैया , डॉ रितेश्वर नाथ तिवारी अविनाश कुमार, पंकज कुमार , रंजीत कुमार, नरेश कुमार एवं शोधार्थी सुरेंद्र कुमार यादव, राजन यादव, राम भजन पासवान, दीपक कुमार जयसवाल, दामोदराचारी मिश्र, मिथिलेश कुमार सिंह, विवेक कुमार सोनू, सोहेल अख्तर, विक्रमजीत, कौशल किशोर, संदीप कुमार, सौम्या शालिनी, पूनम कुमारी, अंकिता गुप्ता, रूबी कुमारी, सलमान, गुड्डी कुमारी, एवं नसीम अख़्तर सहित कुल 40 शोधार्थी एवं छात्र इस व्याख्यान में उपस्थित हुए।

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