
मांझी। छह दिन में महज चार बार जली हुई रोटी और आलू पालक की सब्जी खाकर अपहर्ताओं के चंगुल से निकल भागने में कामयाब हो गया रनपट्टी गांव निवासी अभय कुमार सिंह का पुत्र प्रियांशू कुमार। 12 फरवरी की शाम को मांझी थाना क्षेत्र के रन पट्टी गांव से रहस्यमय ढंग से लापता प्रियांशू कुमार ने बातचीत के क्रम में पत्रकारों को चौंकाने वाली बात बताई। 12 फरवरी की शाम गांव से पश्चिम उड़ियान पुर ग्रामीण सड़क पर खड़े प्रियांशू के समीप एक कार आकर रुकी। कार में सवार चार संदिग्ध लोगों ने छपरा जाने वाली सड़क की जानकारी मांगी। इसी बीच कार में सवार लंबी दाढ़ी वाले चार युवकों ने उसके मुंह पर रुमाल रखकर उसे बेहोश कर दिया। तथा यूपी के गाजीपुर लेकर चले गए। वहां सुनसान स्थान पर स्थित एक कर्कट घर में ले जाकर जंजीरों से जकड़ दिया गया। तथा नीले रंग का ड्रेस पहना दिया गया। जिस बड़े घर में उसे बांध कर रखा गया वहां पहले से ही करीब डेढ़ दर्जन अन्य किशोर भी कैद करके रखे गए थे। उन सबको भी नीले रंग का ड्रेस पहनाया गया था। वहां आने जाने वाले लोग अपना मुंह बांध कर रहते थे। भूख से तड़पते बच्चों को खाने के लिए चार रोटी और आलू पालक की सब्जी दी जाती थी। खाना में नशीला पदार्थ मिला होता था। खाना खाते ही सभी बच्चे बेहोश हो जाते थे। छह दिन में मात्र चार बार ही उसे खाना खाने को मिला। कथित रूप से शुक्रवार की सुबह अचानक पुलिस का छापा पड़ा और सभी बंधक के हाथ पांव खोल दिये गए। और नकाब पोश लोगों ने सभी बच्चों को यूसुफपुर।महमदाबाद स्टेशन छोड़ दिया। घर लौटने के लिए प्रियांशू को पवन एक्सप्रेस मिली। ट्रेन में उसे हाजीपुर के एक स्वर्णकार अंकल मिले जो उसे खिलाते पिलाते छपरा जंक्शन तक लाये और उसे आरपीएफ के हवाले कर दिया। बाद में आरपीएफ ने परिजनों को बुलाकर उसे परिजनों को सौंप दिया। अपने कलेजे के टुकड़े को पाकर प्रियांशू के माता पिता की भी आंखे भर आईं। परिजनों ने ईश्वर का शुक्रिया किया। प्रियांशू अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त तो हो गया पर उसके चेहरे पर अब भी खौफ साफ साफ दिख रहा है। प्रियांशू ने बताया कि उसे आशंका है कि अपहर्ता किडनी तस्कर गिरोह के सदस्य हैं तथा बच्चों व किशोरों को पकड़कर उनकी किडनी निकाल कर मुंहमांगी कीमत पर बेचते हैं। बातचीत के क्रम में अपहर्ता सभी बंधक बच्चों को किसी नर्सिंग होम में भेजने की आपस में चर्चा कर रहे थे। उसने बताया कि जिस सुदूर इलाके में उन सबको बंधक बनाकर रखा गया था वहां से बाइक द्वारा गाजीपुर के युसुफपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने में तकरीबन डेढ़ घण्टे का समय लगा। प्रियांशू के घर पहुंचने के बाद से उसके दरवाजे पर गांव के लोगों व रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई है।

